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हिन्दू धर्म विश्वकोश (Hindu Dharma Encyclopedia)

Surya Dev Aarti Lyrics (सूर्य देव की आरती)

Surya Dev Aarti Lyrics (सूर्य देव की आरती)

हिंदू धर्म में, सप्ताह के सात दिन किसी न किसी देवता को समर्पित होते हैं। ऐसे में रविवार के दिन का हिंदू धर्म में भी महत्व है। रविवार का दिन भगवान सुयदेव को समर्पित है। यह व्रत स्त्री और पुरुष दोनों ही करते हैं। रविवार का व्रत बहुत ही फलदायी माना जाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा करने का विधान है।

रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा करने से सुख, समृद्धि, धन और शत्रुओं से सुरक्षा मिलती है। रविवार का व्रत करने और कथा सुनने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आपको सम्मान, धन और प्रसिद्धि और अच्छा स्वास्थ्य मिलता है। यह व्रत कुष्ठ रोग से मुक्ति के लिए भी किया जाता है।

Ravivar Vrat Katha In Hindi (रविवार व्रत कथा) के बाद Surya Dev Aarti (सूर्य देव की आरती) करनी चाइये।

Benefits of Surya Dev Aarti (सूर्य देव की आरती के लाभ)

रविवर व्रत, Ravivar Vrat Katha (रविवार व्रत कथा) और Surya Dev Aarti (सूर्य देव की आरती) भगवान सूर्य को समर्पित है। रविवर व्रत, रविवार व्रत कथा और Surya Dev Aarti (सूर्य देव की आरती) करने वाले व्यक्ति को भगवान सूर्य सम्मान, सम्मान, शक्ति और पद प्रदान करते हैं। व्रत (उपवास) दुश्मनों और प्रतिद्वंद्वियों पर जीत हासिल करने में भी मदद करता है।

इस दिन भक्त लाल रंग के कपड़े पहनते हैं और लाल रंग के फूल और लाल रंग के चंदन के लेप से सूर्य देव की पूजा करते हैं। भक्त नमक, तेल और तले हुए भोजन से भी परहेज करते हैं। यह भी माना जाता है कि रविवर व्रत, रविवार व्रत कथा और Surya Dev Aarti (सूर्य देव की आरती) करने से कुष्ठ, दाद और आंखों के छाले जैसे चर्म रोगों से बचाव होता है।

रविवर व्रत और Surya Dev Aarti (सूर्य देव की आरती) के अन्य लाभ:

  • नाम, प्रसिद्धि, सम्मान और धन प्रदान करता है।
  • बुद्धि और स्वास्थ्य के लिए।
  • मनोकामना पूर्ति के लिए।
  • सूर्य देव के आशीर्वाद के लिए।
इस महत्वपूर्ण लेख को भी पढ़ें - Ravivar Vrat Katha In Hindi (रविवार व्रत कथा)

Surya Dev Aarti Lyrics (सूर्य देव की आरती)

|| सूर्य देव जी की आरती ||

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

इस महत्वपूर्ण लेख को भी पढ़ें - Ganesh Ji Aarti Lyrics (गणेश जी की आरती)

Original link: One Hindu Dharma

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