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हिन्दू धर्म विश्वकोश (Hindu Dharma Encyclopedia)

Guru Purnima Vrat Aarti Lyrics (गुरु पूर्णिमा व्रत आरती)

Guru Purnima Vrat Aarti Lyrics (गुरु पूर्णिमा व्रत आरती)

हिंदू संस्कृति में गुरु या शिक्षक को हमेशा भगवान के समान माना गया है। गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा हमारे गुरुओं के प्रति आभार व्यक्त करने का दिन है। यह संस्कृत शब्द का शाब्दिक अर्थ है ‘वह जो हमें अज्ञान से मुक्त करता है’।

आषाढ़ के महीने में यह पूर्णिमा का दिन हिंदू धर्म में वर्ष के सबसे शुभ दिनों में से एक है। यह वेद व्यास के जन्मदिन को भी याद करता है, जिन्हें पुराणों, महाभारत और वेदों जैसे सभी समय के कुछ सबसे महत्वपूर्ण हिंदू ग्रंथों को लिखने का श्रेय दिया जाता है।

गुरु पूर्णिमा वेद व्यास को सम्मानित करती है, जिन्हें प्राचीन भारत के सबसे सम्मानित गुरुओं में से एक के रूप में जाना जाता है। वेद व्यास ने चार वेदों की संरचना की, महाभारत के महाकाव्य की रचना की, कई पुराणों और हिंदू पवित्र विद्या के विशाल विश्वकोशों की नींव रखी।

गुरु पूर्णिमा उस तिथि का प्रतिनिधित्व करती है जिस दिन भगवान शिव ने आदि गुरु या मूल गुरु के रूप में सात ऋषियों को पढ़ाया था जो वेदों के द्रष्टा थे। योग सूत्र में, प्रणव या ओम् के रूप में ईश्वर को योग का आदि गुरु कहा गया है। कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ने इस दिन सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था, जो इस पवित्र समय की शक्ति को दर्शाता है।

गुरु पूर्णिमा व्रत कथा के बाद Guru Purnima Vrat Aarti (गुरु पूर्णिमा व्रत आरती) करनी चाइये।

Benefits of Guru Purnima Vrat Aarti (गुरु पूर्णिमा व्रत आरती के लाभ)

उपवास से मन और शरीर को विश्राम का अवसर मिलता है। उस दिन की जाने वाली पूजा और प्रार्थना के साथ, पूर्णिमा व्रत, गुरु पूर्णिमा व्रत कथा और Guru Purnima Vrat Aarti (गुरु पूर्णिमा व्रत आरती) संपूर्ण मानव शरीर प्रणाली को तरोताजा और ऊर्जावान बनाता है और समृद्धि और खुशी प्रदान करता है।

इस महत्वपूर्ण लेख को भी पढ़ें - Guru Purnima Vrat Katha In Hindi (गुरु पूर्णिमा व्रत कथा)

Guru Purnima Vrat Aarti Lyrics (गुरु पूर्णिमा व्रत आरती)

|| गुरु पूर्णिमा व्रत आरती ||

प्यारे गुरुवर की आरती

जय गुरुदेव अमल अविनाशी, ज्ञानरूप अन्तर के वासी,
पग पग पर देते प्रकाश, जैसे किरणें दिनकर कीं.
आरती करूं गुरुवर की..

जब से शरण तुम्हारी आए, अमृत से मीठे फल पाए,
शरण तुम्हारी क्या है छाया, कल्पवृक्ष तरुवर की.
आरती करूं गुरुवर की..

ब्रह्मज्ञान के पूर्ण प्रकाशक, योगज्ञान के अटल प्रवर्तक.
जय गुरु चरण-सरोज मिटा दी, व्यथा हमारे उर की.
आरती करूं गुरुवर की..

अंधकार से हमें निकाला, दिखलाया है अमर उजाला,
कब से जाने छान रहे थे, खाक सुनो दर-दर की.
आरती करूं गुरुवर की..

संशय मिटा विवेक कराया, भवसागर से पार लंघाया,
अमर प्रदीप जलाकर कर दी, निशा दूर इस तन की.
आरती करूं गुरुवर की..

भेदों बीच अभेद बताया, आवागमन विमुक्त कराया,
धन्य हुए हम पाकर धारा, ब्रह्मज्ञान निर्झर की.
आरती करूं गुरुवर की..

करो कृपा सद्गुरु जग-तारन, सत्पथ-दर्शक भ्रांति-निवारण,
जय हो नित्य ज्योति दिखलाने वाले लीलाधर की.
आरती करूं गुरुवर की..

आरती करूं सद्गुरु की
प्यारे गुरुवर की आरती, आरती करूं गुरुवर की…

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Original link: One Hindu Dharma

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