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Hartalika Teej Vrat Katha In Hindi (हरतालिका तीज व्रत कथा)

Hartalika Teej Vrat Katha In Hindi (हरतालिका तीज व्रत कथा)

तीज अमावस्या की रात या पूर्णिमा की रात के तीसरे दिन का प्रतीक है। हरतालिका तीज उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश राज्यों में हिंदू महिलाओं द्वारा उत्साह के साथ मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह दिन देवी पार्वती को समर्पित है, जिन्होंने भगवान शिव से विवाह करने के लिए घने जंगल में तपस्या की थी।

इस लेख में हम हरतालिका तीज व्रत और Hartalika Teej Vrat Katha (हरतालिका तीज व्रत कथा) के बारे में जानेंगे।

When to do Hartalika Teej Vrat and Hartalika Teej Vrat Katha (हरतालिका तीज व्रत और हरतालिका तीज व्रत कथा कब करनी चाहिए)?

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हरतालिका तीज भाद्रपद के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण तीज में से एक है। हरतालिका तीज भारत में हरियाली तीज के उत्सव के एक महीने बाद आती है।

Hartalika Teej Vrat Katha Vidhi In Hindi (हरतालिका तीज व्रत कथा विधि)

हरतालिका तीज व्रत और Hartalika Teej Vrat Katha (हरतालिका तीज व्रत कथा) विधि इस प्रकार है।

  • महिलाएं बिना भोजन या पानी के व्रत (निर्जला व्रत) रखती हैं और भगवान शिव और देवी पार्वती से प्रार्थना करती हैं।
  • विवाहित महिलाएं बिंदी, कुम कुम, मेहंदी, चूड़ियां, पायल और अन्य सामान के साथ दुल्हन की तरह तैयार होती हैं और अपने पति का आशीर्वाद लेती हैं।
  • शाम के समय महिलाएं एकत्रित होकर शिवलिंग को मिट्टी से तैयार करती हैं और उसे फूल, बिल्वपत्र और धतूरे से ढक देती हैं।
  • महिलाएं भगवान शिव की पूजा करती हैं, रात भर मंत्रों का जाप करती हैं। महिलाएं नाचती हैं, गाती हैं और पूरी रात भक्ति में जागती रहती हैं।
  • पूजा व्रत कथा के वर्णन और सुबह आरती गायन के साथ समाप्त होती है जिसके बाद देवी पार्वती और भगवान शिव का सुंदर जुलूस निकाला जाता है। सभी महिलाएं बिल्वपत्र के पत्ते और नारियल प्रसाद और कुछ फल खाकर अपना व्रत खोलती हैं।
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Benefits of Hartalika Teej Vrat and Hartalika Teej Vrat Katha (हरतालिका तीज व्रत और हरतालिका तीज व्रत कथा के लाभ)

हरतालिका तीज व्रत का हिंदू महिलाओं के लिए बहुत महत्व है। ऐसा माना जाता है कि अगर अविवाहित लड़की इस व्रत को धार्मिक रूप से करती है, तो उसे अपनी आत्मा की प्राप्ति होती है। जैसे देवी पार्वती को भगवान शिव मिले थे। हरतालिका तीज का मुख्य उद्देश्य संतान के साथ-साथ वैवाहिक सुख प्राप्त करना है।

विवाहित महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं जिसमें वे दिन भर न तो भोजन करती हैं और न ही पानी पीती हैं। पूरे दिन व्रत रखकर महिलाएं अपने पति, बच्चों और खुद के लिए आशीर्वाद मांगती हैं। भक्त शिव और पार्वती से वैवाहिक सुख के लिए प्रार्थना करते हैं।

Hartalika Teej Vrat Katha In Hindi (हरतालिका तीज व्रत कथा)

एक बार भगवान शिव ने पार्वतीजी को उनके पूर्व जन्म का स्मरण कराने के उद्देश्य से हरतालिका तीज व्रत के माहात्म्य की कथा कही थी।

भगवान शंकर ने पार्वती जी से कहा – एक बार ज तुमने हिमालय पर्वत पर जाकर गंगा के किनारे, मुझे पति रुप में प्राप्त करने के लिये कठिन तपस्या की थी। उसी घोर तपस्या के समय नारद जी हिमालय के पास गये तथा कहा की विष्णु भगवान भगवान आपकी कन्या के साथ विवाह करना चाहते है. इस कार्य के लिये मुझे भेजा है।

नारद की इस बनावटी बात को तुम्हारे पिता ने स्वीकार कर लिया, तत्पश्चात नारद जी विष्णु के पास गये और कहा कि आपका विवाह हिमालय ने पार्वती के साथ करने का निश्चय कर लिया है। आप इसकी स्वीकृ्ति दें। नारद जी के जाने के पश्चात पिता हिमालय ने तुम्हारा विवाह भगवान विष्णु के साथ तय कर दिया है।

यह जानकर तुम्हें, अत्यंत दु:ख हुआ और तुम जोर-जोर से विलाप करने लगी। एक सखी के साथ विलाप का कारण पूछने पर तुमने सारा वृ्तांत कह सुनाया कि मैं भगवान शंकर के साथ विवाह करने के लिए कठिन तपस्या प्रारक्भ कर रही हूं, उधर हमारे पिता भगवान विष्णु के साथ संबन्ध तय करना चाहते है। मेरी कुछ सहायता करों, अन्यथा मैं प्राण त्याग दूंगी।

सखी ने सांत्वना देते हुए कहा – मैं तुम्हें ऎसे वन में ले चलूंगी की तुम्हारे पिता को पता न चलेगा। इस प्रकार तुम सखी सम्मति से घने जंगल में गई। इधर तुम्हारे पिता हिमालय ने घर में इधर – उधर खोजने पर जब तुम्हें न पाया तो बहुत चिंतित हुए क्योकि नारद से विष्णु के साथ विवाह करने की बात वो मान गये थे।

वचन भंग की चिन्ता नें उन्हें मूर्छित कर दिया। तब यह तथ्य जानकर तुम्हारी खोज में लग गयें। इधर सखी सहित तुम सरिता किनारे की एक गुफा में मेरे नाम की तपस्या कर रही थी। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृ्तिया तिथि का उपवास रहकर तुमने शिवलिंग पूजन तथा रात्रि जागरण भी किया।

इससे मुझे तुरन्त तुम्हारे पूजर स्थल पर आना पडा। तुम्हारी मांग और इच्छा के अनुसार तुम्हें, अर्धांगिनी रुप में स्वीकार करना पडा। प्रात:बेला में जब तुम पूजन सामग्री नदी में छोड रही थी तो उसी समय हिमालय राज उस स्थान पर पहुंच गयें। वे तुम दोनों को देखकर पूछने लगे कि बेटी तुम यहां कैसे आ गई। तब तुमने विष्णु विवाह वाली कथा सुना दी।

यह सुनकर वे तुम्हें लेकर घर आयें और शास्त्र विधि से तुम्हारा विवाह मेरे साथ कर दिया। उस दिन जो भी स्त्री इस व्रत को परम श्रद्वा से करेगी, उसे तुम्हारे समान ही अचल सुहाग मिलेगा।

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Original link: One Hindu Dharma

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