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Shani Chalisa In Hindi (शनि चालीसा) Lyrics

Shani Chalisa In Hindi (शनि चालीसा) Lyrics

ज्योतिष अक्सर शनि ग्रह और लोगों के जीवन पर उसके हानिकारक प्रभावों के बारे में बात करता रहता है। शनि न्याय का संरक्षक है और वह लोगों को अच्छे और बुरे के परिणाम देने के लिए अधिकृत है। हम अपने जीवन में जिन चीजों का सामना करते हैं, वे केवल हमारे अतीत में किए गए कार्यों का परिणाम हैं। हालांकि, शनि चालीसा का जाप करने से दिल में आत्मविश्वास पैदा हो सकता है और शनि से पीड़ित कुंडली के कारण आने वाले दुखों और चुनौतियों को दूर करने में मदद मिल सकती है।

Benefits of Shani Chalisa (शनि चालीसा के लाभ)

शनि चालीसा का नियमित पाठ भगवान शनि की पूजा में अत्यधिक प्रभावी माना जाता है। धार्मिक शास्त्र कहते हैं कि शनि चालीसा का पाठ करने से पापों का नाश होता है। जो व्यक्ति नियमित रूप से शनि चालीसा का जाप करता है उसे शनि ग्रह से शांति प्राप्त होती है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस श्लोक का नियमित जप करने से आपके विचार शुद्ध होते हैं और दैनिक जीवन में आपकी दृष्टि की स्पष्टता बढ़ती है।

आप जीवन में आने वाली परेशानियों और कठिनाइयों को दूर करने में सक्षम होंगे। शनि चालीसा का पाठ आपको शनि की साढ़े साती अवधि और किसी की कुंडली में शनि की अन्य पीड़ित स्थितियों से उत्पन्न होने वाली कठिनाइयों को दूर करने में भी मदद करता है। आपको जीवन में सुख और भौतिक समृद्धि प्राप्त होती है। आपको बुरे कार्यों, अपराधों और झूठे आरोपों से सुरक्षा मिलती है। आपको आपदाओं और दुर्घटनाओं से सुरक्षा प्राप्त होती है। आप जीवन के सही रास्ते पर स्थिर रहने के लिए प्रेरित होते हैं और अंततः एक पुण्य जीवन के कारण स्वर्ग के लिए अपना रास्ता खोज लेते हैं।

Shani Chalisa Doha (शनि चालीसा दोहा)

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।

दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥

जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।

करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥

Shani Chalisa (शनि चालीसा का मुख्य भाग)

जयति जयति शनिदेव दयाला।

करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥

चारि भुजा, तनु श्याम विराजै।

माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥

परम विशाल मनोहर भाला।

टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥

कुण्डल श्रवण चमाचम चमके।

हिय माल मुक्तन मणि दमके॥

कर में गदा त्रिशूल कुठारा।

पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥

पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन।

यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन॥

सौरी, मन्द, शनी, दश नामा।

भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥

जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं।

रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं॥

पर्वतहू तृण होई निहारत।

तृणहू को पर्वत करि डारत॥

राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो।

कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो॥

बनहूँ में मृग कपट दिखाई।

मातु जानकी गई चुराई॥

लखनहिं शक्ति विकल करिडारा।

मचिगा दल में हाहाकारा॥

रावण की गति-मति बौराई।

रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥

दियो कीट करि कंचन लंका।

बजि बजरंग बीर की डंका॥

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा।

चित्र मयूर निगलि गै हारा॥

हार नौलखा लाग्यो चोरी।

हाथ पैर डरवायो तोरी॥

भारी दशा निकृष्ट दिखायो।

तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥

विनय राग दीपक महं कीन्हयों।

तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों॥

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी।

आपहुं भरे डोम घर पानी॥

तैसे नल पर दशा सिरानी।

भूंजी-मीन कूद गई पानी॥

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई।

पारवती को सती कराई॥

तनिक विलोकत ही करि रीसा।

नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी।

बची द्रौपदी होति उघारी॥

कौरव के भी गति मति मारयो।

युद्ध महाभारत करि डारयो॥

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला।

लेकर कूदि परयो पाताला॥

शेष देव-लखि विनती लाई।

रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥

वाहन प्रभु के सात सुजाना।

जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥

जम्बुक सिंह आदि नख धारी।

सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।

हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥

गर्दभ हानि करै बहु काजा।

सिंह सिद्धकर राज समाजा॥

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै।

मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।

चोरी आदि होय डर भारी॥

तैसहि चारि चरण यह नामा।

स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा॥

लौह चरण पर जब प्रभु आवैं।

धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥

समता ताम्र रजत शुभकारी।

स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी॥

जो यह शनि चरित्र नित गावै।

कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥

अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।

करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥

जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई।

विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत।

दीप दान दै बहु सुख पावत॥

कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।

शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥

Final Shani Chalisa Doha (अंतिम शनि चालीसा दोहा)

पाठ शनिश्चर देव को, की हों ‘भक्त’ तैयार।

करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥

इस महत्वपूर्ण लेख को भी पढ़ें - Hanuman Chalisa Lyrics In English

Original link: One Hindu Dharma

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