onehindudharma.org
onehindudharma.org

हिन्दू धर्म विश्वकोश (Hindu Dharma Encyclopedia)

Saraswati Chalisa In Hindi (सरस्वती चालीसा) Lyrics

Saraswati Chalisa In Hindi (सरस्वती चालीसा) Lyrics

देवी सरस्वती (जिसका अर्थ है सुरुचिपूर्ण और बहने वाली) इस ब्रह्मांड के निर्माता भगवान ब्रह्मा की पत्नी हैं। वह वैदिक ग्रंथों के अनुसार ज्ञान, संगीत, कला, सौंदर्यशास्त्र और सीखने की देवी हैं।

देवी सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती अपने पुरुष समकक्षों की तरह तीनों देवी की त्रिमूर्ति बनाती हैं।

उन्हें वेदमाता (‘वेदों की माता’), भारती, शतरूपा, ब्राह्मी, शारदा, वागीस्वरी और पुटकरी के रूप में भी जाना जाता है।

उन्हें “सुंदर भाषण की देवी” के रूप में भी जाना जाता है।

Benefits of Saraswati Chalisa (सरस्वती चालीसा के लाभ)

सरस्वती चालीसा का पाठ करियर और शिक्षा से संबंधित सभी बाधाओं को दूर करने में मदद करता है। यह करियर और शिक्षा में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।

यह किसी को अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने में सहायता करता है। एक को दिव्य भाषण की शक्ति प्रदान करता है।

यह ध्यान, जागरूकता, सीखने की शक्ति, स्मृति में सुधार करता है और मन की शांति प्रदान करता है। सरस्वती चालीसा का नियमित पाठ सकारात्मक विचारों और सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ाने में लाभ देता है।

यदि आप संगीत, नृत्य या किसी कला रूप में अपना करियर बनाना चाहते हैं, तो सरस्वती चालीसा का पाठ आपके लिए एकदम सही है।

Saraswati Chalisa Doha (सरस्वती चालीसा दोहा)

जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि।
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥

पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।
दुष्जनों के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु॥

Saraswati Chalisa Chaupai (सरस्वती चालीसा चौपाई)

जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।
जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी॥

जय जय जय वीणाकर धारी।
करती सदा सुहंस सवारी॥

रूप चतुर्भुज धारी माता।
सकल विश्व अन्दर विख्याता॥

जग में पाप बुद्धि जब होती।
तब ही धर्म की फीकी ज्योति॥

तब ही मातु का निज अवतारी।
पाप हीन करती महतारी॥

वाल्मीकि जी थे हत्यारा।
तव प्रसाद जानै संसारा॥

रामचरित जो रचे बनाई।
आदि कवि की पदवी पाई॥

कालिदास जो भये विख्याता।
तेरी कृपा दृष्टि से माता॥

तुलसी सूर आदि विद्वाना।
भये और जो ज्ञानी नाना॥

तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा।
केव कृपा आपकी अम्बा॥

करहु कृपा सोइ मातु भवानी।
दुखित दीन निज दासहि जानी॥

पुत्र करहिं अपराध बहूता।
तेहि न धरई चित माता॥

राखु लाज जननि अब मेरी।
विनय करउं भांति बहु तेरी॥

मैं अनाथ तेरी अवलंबा।
कृपा करउ जय जय जगदंबा॥

मधुकैटभ जो अति बलवाना।
बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना॥

समर हजार पाँच में घोरा।
फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा॥

मातु सहाय कीन्ह तेहि काला।
बुद्धि विपरीत भई खलहाला॥

तेहि ते मृत्यु भई खल केरी।
पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥

चंड मुण्ड जो थे विख्याता।
क्षण महु संहारे उन माता॥

रक्त बीज से समरथ पापी।
सुरमुनि हदय धरा सब काँपी॥

काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा।
बारबार बिन वउं जगदंबा॥

जगप्रसिद्ध जो शुंभनिशुंभा।
क्षण में बाँधे ताहि तू अम्बा॥

भरतमातु बुद्धि फेरेऊ जाई।
रामचन्द्र बनवास कराई॥

एहिविधि रावण वध तू कीन्हा।
सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा॥

को समरथ तव यश गुन गाना।
निगम अनादि अनंत बखाना॥

विष्णु रुद्र जस कहिन मारी।
जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥

रक्त दन्तिका और शताक्षी।
नाम अपार है दानव भक्षी॥

दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।
दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥

दुर्ग आदि हरनी तू माता।
कृपा करहु जब जब सुखदाता॥

नृप कोपित को मारन चाहे।
कानन में घेरे मृग नाहे॥

सागर मध्य पोत के भंजे।
अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥

भूत प्रेत बाधा या दुःख में।
हो दरिद्र अथवा संकट में॥

नाम जपे मंगल सब होई।
संशय इसमें करई न कोई॥

पुत्रहीन जो आतुर भाई।
सबै छांड़ि पूजें एहि भाई॥

करै पाठ नित यह चालीसा।
होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा॥

धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै।
संकट रहित अवश्य हो जावै॥

भक्ति मातु की करैं हमेशा।
निकट न आवै ताहि कलेशा॥

बंदी पाठ करें सत बारा।
बंदी पाश दूर हो सारा॥

रामसागर बाँधि हेतु भवानी।
कीजै कृपा दास निज जानी।

Final Saraswati Chalisa Doha (अंतिम सरस्वती चालीसा दोहा)

मातु सूर्य कान्ति तव, अन्धकार मम रूप।
डूबन से रक्षा करहु परूँ न मैं भव कूप॥

बलबुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु।
राम सागर अधम को आश्रय तू ही देदातु॥

इस महत्वपूर्ण लेख को भी पढ़ें - Shri Ram Chalisa In Hindi (राम चालीसा)

Original link: One Hindu Dharma

CC BY-NC-ND 2.0 版权声明

喜欢我的文章吗?
别忘了给点支持与赞赏,让我知道创作的路上有你陪伴。

加载中…

发布评论